पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ के ये महत्वपूर्ण 4 श्लोक दिखाते हैं जीवन जीने की नई राह
- By Habib --
- Wednesday, 13 Dec, 2023
These 4 important verses of the holy book 'Geeta'
हर साल मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 22 दिसंबर को गीता जयंती है। धार्मिक मान्यता है कि जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। अत: हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है।
गीता जयंती पर वैष्णव समाज के लोग (अनुयायी) व्रत भी करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही जीवन में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। अगर आप भी अपने जीवन में सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो गीता जयंती पर विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय गीता के चुनिंदा श्लोकों का पाठ या श्रवण अवश्य करें।
गीता के श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
भगवद गीता के इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन! कर्म करना तुम्हारा अधिकार है, लेकिन फल की इच्छा करना तुम्हारा अधिकार नहीं है। इस श्लोक का अर्थ है कि कर्म करो और फल की इच्छा मत करो। फल की इच्छा किए बिना कर्म करो, क्योंकि कर्म का फल देना भगवान का काम है।
चिन्तया जायते दु:खं नान्यथेहेति निश्चयी।
तया हीन: सुखी शान्त: सर्वत्र गलितस्पृह:॥
इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि चिंता करने से ही इंसान को दु:ख मिलता है। श्लोक का अर्थ है कि चिंता करने के बजाय इंसान को उस परेशानी का समाधान निकालना चाहिए।
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
भगवद गीता के इस श्लोक अर्थ है कि जो इंसान अपनी श्रद्धा-भक्ति की मदद लेते हैं। उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है। श्लोक का सार है कि हर परेशानी में संयम रखना बेहद आवश्यक है। चाहे किसी भी तरह की स्थिति हो, लेकिन भगवान का साथ न छो?ें।
ध्यायतो विषयान्पुंस: सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते काम: कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी चीज के बारे में अधिक सोचने से इंसान को उससे लगाव हो जाता है। अर्थ है कि किसी चीज से अधिक लगाव की वजह भौतिक इच्छा पूरी न हो तो उदासी और क्रोध का सामना करना पड़ता है।
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